विक्रमशिला पुल के समानांतर पुल के निर्माण में अब नया पेच.. अतिरिक्त समय और खर्च

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विक्रमशिला पुल के समानांतर पुल के निर्माण में अब नया पेच
विक्रमशिला पुल के समानांतर पुल के निर्माण में अब नया पेच

विक्रमशिला पुल के समानांतर पुल के निर्माण में अब नया पेच

भागलपुर : विक्रमशिला पुल के समानांतर पुल के निर्माण में अब नया पेच फंस गया है। भारतीय अन्तर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने पुल के डिजायन को लेकर आपत्ति जताई है और कहा है कि पुल के दो पिलरों के बीच की दूरी कम से कम सौ मीटर हो। मौजूदा डिजायन में यह दूरी 50 से 60 मीटर है। विभाग को अब आईडब्ल्यूएआई से हरी झंडी के लिए डिजायन में बदलाव करना होगा। इस कारण काम शुरू होने में देरी होना तय है।

अभी के डिजायन में समानांतर पुल विक्रमशिला पुल से करीब 50 मीटर की दूरी पर बनना है। इसके पिलर भी विक्रमशिला पुल के पिलर के बराबर में होंगे। नए पुल में दस पिलर के बीच की दूरी एक सौ मीटर है और शेष अन्य पिलरों के बीच की दूरी 50 से 60 मीटर है। लेकिन आईडब्ल्यूएआई ने कहा है कि पुल का निर्माण ऐसा हो ताकि किसी भी दो पिलर के बीच की दूरी एक सौ मीटर से कम नहीं हो। डिजायन में बदलाव करने में कितना अतिरिक्त समय और खर्च लगेगा, इस बारे में अधिकारियों को भी स्पष्ट जानकारी नहीं है। हालांकि, इसको लेकर दोनों विभागों के बीच बैठक होनी है। इसमें इसका हल निकाला जाएगा।

मंत्रालय स्तर पर होगा फैसला

पहले अनुमान था कि सितंबर-अक्टूबर में काम शुरू करने के लिए एजेंसी यहां आ सकती है। पुल निर्माण विभाग के पूर्व कार्यपालक अभियंता रामसुरेश राय ने कहा कि कुछ पिलरों के बीच सौ मीटर दूरी है लेकिन आईडब्ल्यूएआई कुछ बदलाव चाहता है। मंत्रालय स्तर पर इसमें फैसला लिया जाना है। इसमें कितना समय लगेगा, यह मंत्रालय स्तर पर सहमति के बाद ही तय हो सकेगा। जानकारों का मानना है कि पिलरों की संख्या घटने पर सुपर स्ट्रक्चर में थोड़ा बदलाव हो सकता है। इससे खर्च ज्यादा होगा। इस तरह कुल खर्च में भी वृद्धि हो सकती है लेकिन अंतिम राशि तभी तय होगी जब डिजायन तय होगा।

सितंबर में प्रधानमंत्री ने किया था शिलान्यास

प्रधानमंत्री ने पिछले साल 21 सितबर को समानांतर पुल का ऑनलाइन शिलान्यास किया था। उसके बाद से टेंडर की प्रक्रिया कर मार्च में कार्य का आवंटन एलएंडटी कंपनी को आवंटित कर दिया गया। इसके बाद कंपनी और विभाग के बीच कांन्ट्रैक्ट पर भी सहमति बन गई लेकिन आईडब्ल्यूएआई और वन विभाग से हरी झंडी अभी तक नहीं मिली है।

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