नवगछिया बाजार से जोड़नेवाला आरओबी अब तक पांच लोगों की जानें ले चुका है यह ओवरब्रिज

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नवगछिया बाजार से जोड़नेवाला आरओबी अब तक पांच लोगों की जानें ले चुका है
नवगछिया बाजार से जोड़नेवाला आरओबी अब तक पांच लोगों की जानें ले चुका है

नवगछिया बाजार से जोड़नेवाला आरओबी अब तक पांच लोगों की जानें ले चुका है

नवगछिया बाजार को सीमावर्ती जिलों के अलावा अनुमंडल के सातों प्रखंडों को बाजार से जोड़ने वाली मकन्दपुर नवगछिया सड़क पर थाना के पास स्थित समपार रेलवे ओवरब्रिज स्वीकृति के आठ वर्ष बाद भी नहीं बन पाया है। जिससे लोग रोजाना जान हथेली पर लेकर बाजार जाते-आते हैं। इस समपार पर ओवरब्रिज बन जाने से लोगों को जाम में घंटों फंसने से बचने के अलावा नवगछिया शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात मिल जाता।

छह वर्षों में सिर्फ चार पाया बना

रेलवे ओवरब्रिज में सात वर्षों में सिर्फ चार पाए का निर्माण हो सका है। रेलवे ने इस खींचतान में काम रोक दिया है। वहीं राज्य सरकार अपने हिस्से का निर्माण कार्य तो दूर अबतक टेंडर भी नहीं करा पाई है। आधे-अधूरे बने पाए की वजह से यहां हादसे भी हो रहे हैं। ट्रेनों की आवाजाही के समय नवगछिया से भागलपुर पूर्णिया, गोपालपुर और रंगरा इस्माईलपुर आने-जाने के लिए आवागमन में लोगों को काफी परेशानियां हो रही हैं।

जनप्रतिनिधि की बेरुखी का शिकार हुआ ओवरब्रिज

ओवरब्रिज के अभाव में ट्रेनों की आवाजाही के दरम्यान महज 15 मिनट रेल फाटक गिरने पर एक घंटे तक ट्रैफिक जाम लगा रहता है। इसका खामयिाजा शहरवासी भुगतते हैं। आए दिन जाम उनके लिए जी का जंजाल बन चुका है। जाम की समस्या से पूरा शहर कराह रहा है। समपार बन्द होने के बाद समपार के दोनों तरफ वाहनों की काफी लंबी कतार लग जाती है। रेलवे ट्रैक पर भी वाहनों के जाम में फंसने के बाद समपार का फाटक बंद नहीं हो पाता है। खुले फाटक के रहते ही ट्रेन आ जाती है जो किसी बड़े हादसे को आमंत्रण देता है।

आंदोलन व अनशन काम नहीं आया

रेलवे ओवरब्रिज को लेकर कई बार आंदोलन हुआ। लोगों ने अनशन भी किया। दिवंगत अधिवक्ता सत्येंद्र नारायण चौधरी कौशल ने ओवरब्रिज के निर्माण के लिए विभाग के मंत्री से मिलकर अपनी बातें रखी थी।

लोकसभा चुनाव में भी मुद्दा बना था आरओबी निर्माण

वर्ष 2013 में नवगछिया में रेलवे ओवरब्रिज की स्वीकृति मिली थी। महज तीन वर्ष में ओवरब्रिज का निर्माण हो जाना था। 2014 में रेलवे द्वारा कार्य शुरू किया गया। इतने वर्षों में सिर्फ चार पाया बनने के बाद निर्माण कार्य अधर में लटका है। केंद्र और राज्य सरकार के बीच यह महत्वाकांक्षी परियोजना अटक सी गई है।

रेलवे अधिकारी बताते हैं कि रेलवे ने अपना काम पूरा कर लिया है। स्तंभ पर सतह ढालनी है। रेलवे का और बाकी कार्य तब शुरू होगा जब राज्य सरकार अपने हिस्से का निर्माण कार्य शुरू और एप्रोच पथ का निर्माण शुरू कराएगी। उधर, राज्य सरकार के मंत्री और अधिकारी तीन साल से एप्रोच पथ के लिए शीघ्र टेंडर निकाले जाने का राग ही अलाप रहे हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह ओवरब्रिज मुद्दा बनकर उभरा था। तब नेताओं ने चुनाव बीतने के साथ ही कार्य को आगे बढ़ाने का आश्वासन दिया था।

अब तक पांच लोगों की जानें ले चुका है चुका है यह ओवरब्रिज

नवगछिया का यह ओवरब्रिज जहां निर्माणाधीन रहने और सड़कों की स्थिति जर्जर रहने के कारण तीन ट्रैक्टर चालक सहित अन्य दो लोगों की मौत दुर्घटना में हो गई है। अनेकों बार रेलवे ट्रैक पर गाड़ियों के फंसे होने के कारण ट्रेन को किसी तरह से निकाला गया है।

ओभरब्रिज के बारे में बताया गया कि ओभरब्रिज की स्वीकृति के समय रेलवे लाइन का विधुतीकरण नहीं हुआ था, जब इसका निर्माण कार्य रेलवे के द्वारा शुरू किया गया। उसके बाद इस रूट में रेलवे विद्युतीकरण भी किया गया जिससे कि तकनीकी समस्या हुई और बिहार सरकार के पथ निर्माण विभाग को पुनः डी पी आर बनाकर टेंडर प्रक्रिया शुरू कराना है पथ निर्माण विभाग के द्वारा डी पी आर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है

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